कोरोना Virus या 5G की टेस्टिंग से मर रहे हैं लोग ! जाने असली सच्चाई

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यदि आप गूगल पर ढूंढ रहे हैं की 5G टेक्नोलॉजी क्या है? वास्तव में COVID 19 इसी तकनीक से फैला है भारत में, 5G तकनीक बनी इंसानों के मौत का कारण या क्या 5जी Technology ही है असली कोरोना तो इसे आप अकेले बिलकुल नहीं जो इसके बारे में जानना चाहते हैं. पूरे भारत देश में यही चर्चा हो रही है. आज इस पोस्ट के जरिये आपको बिल्कुल क्लियर हो जायेगा कि सच क्या है और झूठ क्या है!

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5G Network टेक्नोलॉजी क्या है?

5जी तकनीक वायरलेस मोबाइल की पांचवीं जनरेशन है जिस पर बहुत सारे देश तेजी से काम कर रहे हैं जिनमे से एक हमारा भारत भी है. इस तकनीक से पहले हमने 1जी, 2जी, 3जी और 4जी का उपयोग किया है. 4जी का यूज अभी भी जारी है. 5जी का पूरा नाम 5TH Generation Wireless Technology है जो की 4G के बाद अभी तक दुनियां का सबसे बड़ा और तेज वायरलेस नेटवर्क होने वाला है जिससे पूरा का पूरा इंटरनेट चलाने का अनुभव बदल जाएगा.

हम सभी लोगों में से बहुत से लोग ऐसे भी होगें जिन्होंने 1जी से लेकर 4जी तक सभी तकनीकों का यूज किया है. यदि बात करें 1जी से 3जी तक की तो आज इसमें काफी परिवर्तन हो चुका है और जबरजस्त क्रांति देखने को मिली है मोबाइल टेक्नोलॉजी में. इसी के फलस्वरूप आज सभी के हांथों में स्मार्टफोन हैं जिससे आप बहुत सारे अपने कई तरह के कामों को घर पर बैठकर ही कर सकते हैं.

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क्या 5जी Technology ही है असली कोरोना

5G टेक्नोलॉजी और कोरोना वायरस को लेकर इन दिनों सोशल मीडिआ पर काफी खबरें वायरल हो रहीं हैं की 5जी तकनीक बनी इंसानों के मौत का कारण या ये कोरोना की बीमारी नहीं है बल्कि 5जी की टेस्टिंग है जो लोगों को बीमार करके मार रहीं हैं. इस विषय पर हर रोज किसी न किसी के द्वारा पोस्ट किया जा रहा है और व्हाट्सप्प पर कई तरह के स्टेटस भी मौजूद हैं इसी विषय पर. इन सभी को लोग देखते हैं तो सभी को जानना है की क्या सच में 5जी टेक्नोलॉजी से ही मर रहे हैं लोग, क्या 5जी Technology ही है असली कोरोना.

इस पोस्ट में आपको पता चलेगा कि सच क्या है और में ये जानकारी अपने मन से नहीं बल्कि WHO और अन्य विशेषज्ञ की राय होगी जो अभी तक आपने किसी न्यूज़ य ख़बरों में नहीं देखि या पढ़ी होगी.

क्या 5जी रेडियेशन के कारण फैला है हवा में कोरोना जहर ?

पिछले कुछ दिनों से भारत सहित अन्य देशों में न्यूज़ से लेकर सोशल मीडिया, हर तरफ इसी बात की भरंमार है जिनके अनुसार ये दावा किया गया है कि 5 जी तकनीक टेस्टिंग ही है  कोरोना होने का कारण और साथ ही साथ ये भी कहा गया है की यदि जल्द ही इसकी टेस्टिंग को न रोका गया तो दुनियां में तबाही आना तय है. कई वैज्ञानिकों ने ये साबित भी किया है कि 5जी टावर से जो रेडिएशन निकल रहा है वाही है जो हवा को जहरीला कर रहा है.

यही कारण है कि लोगों को साँस लेने में दिक्कत आ रही है और बहुत लोगों की जानें भी जा रही हैं. कुछ विशेषज्ञों ने इस टेस्टिंग को तुरंत बंद करने की सरकार को सलाह भी दी है. एक जानकार के अनुसार 3जी , 4जी तकनीक जब से आयीं है तभी से हर प्रकार के पक्षियों की संख्या कम हो रही है जैसा कि रोबोट 2.0 फिल्म में दिखाया गया है. इन सज्जन के अनुसार अब 5जी में इंसानों की बारी है. 5जी की टेस्टिंग बंद करो और इंसानों को बचाओ.

  1. कुछ पॉइंट्स में समझते हैं 5जी रेडिएशन के लक्षण एक सज्जन के अनुसार
  2. 5जी नेटवर्क के कारण लगभग हर घर में हल्का सा करंट महसूस हो रहा है.
  3. सभी लोगों का गला जरूरत से ज्यादा सूखना और प्यास लगना.
  4. नानक में खून निकलने के साथ में पपड़ी जैसी कुछ जमना.
  5. सीने में दवाव सा बना रहना और सांस लेने में दिक्कत का आना.

इनके अनुसार ये सब घटनाएं इन्हीं के साथ हो रहीं हैं और जिस तरह से 3जी, 4जी नेटवर्क पक्षियों को खा गए उसी तरह से 5जी इंसानों को खाने वाली है.

विश्व स्वाथ्य संगठन (WHO) ने इनको सिर्फ अफवाह बताया

कोरोना जैसी भयानक बीमारी की इन सभी ख़बरों को डब्ल्यूएचओ ने टोटल फर्जी बताया है. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक़ ये सभी जानकारीं झूठीं हैं जिनका कोरोना से कोई लेना देना नहीं है क्योंकि कोई भी वायरस एक जगह से दूसरी जगह रेडिओ तरंगों से नहीं पहुँच पाता है. इनके अनुसार यदि कोरोना 5जी नेटवर्क से फैल रहा है तो जिन देशों में 5जी है ही नहीं उनमे क्यों कोरोना फैल रहा है.

असल में 3G और 4G की तुलना में 5G टेक्नोलॉजी के लिए काफी घने नेटवर्क की जरूरत होती है. इसकी वजह यह है कि इसमें जिस स्पेक्ट्रम बैंड मिड बैंड और मिलीमीटर वेव्स का इस्तेमाल किया जाता है उसमें उंची फ्रिक्वेंसी की तरंगे होती हैं जिनके कवरेज के लिए ज्यादा टावर और छोटे-छोटे सेल जैसे नेटवर्क की जरूरत होती है. य​दि किसी टेलीकॉम कंपनी ने मिलीमीटर वेव का इस्तेमाल किया तो उसे हर बेस स्टेशन पर ज्यादा एंटेना लगाने की जरूर होगी. कंसल्टेंसी फर्म अर्न्स्ट ऐंड यंग के मुताबिक 4G की तुलना में 5G में हर सेल में पांच से दस गुना ज्यादा छोटे सेल की जरूरत होती है. तो ज्यादा टावर, एंटेना और छोटे-छोटे सेल का मतलब है कि लोगों का रेडियो तरंगों से संपर्क भी ज्यादा होगा.

कोरोना Virus या 5G की टेस्टिंग से मर रहे हैं लोग, क्या है सच ?

एक खबर के अनुसार पूरी दुनिया में लगभग 135 टेलीकॉम कम्पनियाँ 5जी पर काम कर रहीं हैं. और कुछ तो आधिकारिक रूप से चालू भी कर चुकीं हैं. इन सभी देशों में से अमेरिका सबसे ऊपर है. 5जी नेटवर्क को शुरू करने से पहले बहुत से वैज्ञानिकों ने इस पर काफी स्टडी की है. WHO और अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडि​सीन की स्टडी में कहा गया कि इससे लोगों की सेहत को कोई नुकसान नहीं होता हैं. लेकिन कई स्वतन्त्र वैज्ञानिकों के अनुसार 5जी का इंसानिं सेहर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा जिसका उनके पास पक्का सबूत है.

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